हिन्दी दिवस पर कविता || हिन्दी दिवस पर शायरी ||
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हिन्दी को समर्पित इस पेज पर। हिन्दी दिवस के मौके पर मेरी एक कविता,
ज्ञानार्जन का साहस देकर
मुस्काती दिखती मां हिंदी
पढ़ लिखकर नूतन रचने का
ऐसा यश देती मां हिंदी
यहां अनेकों भाषा बोली
एक सूत्र यह बांधे बोली
जब शब्दों ने आंखें खोली
काव्य सजे मानो रंगोली
भाषा दूजी समझ ना आयी
तुमरे पास सहजता पायी
बहुत धनी है अपनी माई
बोलो हिंदी मेरे भाई
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
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