Hindi Shayari || Poets from Samastipur
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लिखी अपनी कहानी में तुझे मैंने बताया है
जहां ऐसी जरूरत थी वहां तुझको छिपाया है
रहे तेरी खुमारी में दिया उसका किराया है
लिखा जो कुछ कभी मैंने सुनो वो भी बकाया है
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
साथ छूटा मैं तमाशा बन गया
ख्वाब टूटा मैं फसाना बन गया
सोचता था मैं अनाड़ी हूं अभी
यार उसका मैं ठिकाना बन गया
मुहब्बत में दिवानो ने यहां सब कुछ लुटाया है
असासा बेचकर अपना गिफट उसको दिलाया है
जमाना भूल जाएगा सितम ये की यहां तूने
पुरानी आशिकी के नाम का टैटू छुपाया है
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