Hindi Shayari || Poets from Samastipur
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लिखी अपनी कहानी में तुझे मैंने बताया है
जहां ऐसी जरूरत थी वहां तुझको छिपाया है
रहे तेरी खुमारी में दिया उसका किराया है
लिखा जो कुछ कभी मैंने सुनो वो भी बकाया है
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
साथ छूटा मैं तमाशा बन गया
ख्वाब टूटा मैं फसाना बन गया
सोचता था मैं अनाड़ी हूं अभी
यार उसका मैं ठिकाना बन गया
मुहब्बत में दिवानो ने यहां सब कुछ लुटाया है
असासा बेचकर अपना गिफट उसको दिलाया है
जमाना भूल जाएगा सितम ये की यहां तूने
पुरानी आशिकी के नाम का टैटू छुपाया है
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
प्रेम करके हमी से छिपाती रही
गीत मेरे हमेशा सजाती रही
हार कर प्रेम में ना कबूला कभी
हार को जीत नित ही बताती रही
हाथ लाली लगाकर दिखाती रही
नाम मेरा हिना से बनाती रही
रंग दो ही सुने थे अभी और वो
ओढ़नी पे कई रंग लाती रही
किधर जाएंगे
तुमको लगता है कि सुधर जाएंगे
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
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