हमको व्यर्थ सा लगता है
मेरे अंदर का अर्जून
शौर्य को सर्वज्ञ समझता है
2) हम बिहार के लड़के हैं
हमने अभावों को जीता है
खुले आसमान के नीचे हमने
क ख ग घ सीखा है
3) धैर्य न खोना सखा अगर
नैराश्य की स्याही बनी रहे
लक्ष्य पाने तक मित्र मेरे
लगन की ज्योति जली रहे
4) देखो उनका जीवठ भी
योद्धा जो रण में बड़े हुए
कुंद करने को उनकी बुद्धि
लोग कैसे खड़े हुए
5) पद वालों की दृष्टि में
हम तुम बहुत मामूली है
पर वे ये ना भूले की
वे भी जनतंत्र की धूली है
6) फ़र्ज़ तो उनका था कि
व्यवस्था ठीक चलाते वे
देश चलाने की खातिर
प्रतिभा चुन कर लाते वे
7) चोखा खिचड़ी खाकर भी
हम मेरिट तो लाते हैं
डिग्री देने वाले सेशन
अक्सर लेट हो जाते हैं
8) ढिल्लम सिलल्म में ना जाने
जवानी कैसे गुम हुई
भविष्य हमारे इन लोगों के
दस्तखत की कुटुंब हुई
9) पटना पढ़ने आया लड़का
जिन सपनों को जीता है
वे क्या जाने तंगहाली में
संघर्षों को कैसे पीता है
10) करें क्या मेरिटधारी लड़का
गर टैलेंट का मान न हो
चाणक्य जन्मेगी कैसे धरती
गर वक्त पर इम्तिहान न हो
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
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